वसीयत को अदालत में चुनौती कैसे दें

यदि कोई व्यक्ति वसीयत अपने नाम छल से करवा लेता है या फिर और किसी दूसरे गैर कानूनी तरीके से करा लेता है तो इसे कोर्ट में चुनौती दिया जा सकता है। साथ ही साथ यदि नियम और विधि पूर्वक भी वसीयत करवाया गया है तो उसे भी कोर्ट में चुनौती दिया जा सकता है। इसके कुछ महत्वपूर्ण बिंदु है जिसको ग्राउंड बनाकर कोर्ट में वसीयत को चुनौती दिया जा सकता है और उसे खारिज करवाया जा सकता है।
(1)यदि वसीयत कर्ता अपना विवेक का प्रयोग न करके धमकी और डर से वसीयत किया है तो फिर इसे कोर्ट में चुनौती देकर  खारिज करवाया जा सकता है
(2)यदि वसीयत कर्ता नाबालिक है यानी कि वसीयत करने वाला व्यक्ति का उम्र 18 साल से कम है तो ऐसी परिस्थिति में भी वसीयत खारिज हो जाएगा। 18 साल से 1 दिन भी यदि कम है तो भी इसे खारिज आसानी से करवाया जा सकता है।
(3)वसीयत करने वाला व्यक्ति यदि पढ़ा लिखा नहीं है अनपढ़ है और लिखने पढ़ने नहीं जानता है तो ऐसे भी परिस्थिति में वसीयत को आसानी से खारिज करवाया जा सकता है। कोर्ट में यह बात का ग्राउंड बन सकता है कि वसीयत करने वाला व्यक्ति जो अंगूठा निशान किया उसे पता ही नहीं था कि किस पेपर पर उसने अंगूठा निशान लगा रहा है और अनजाने में उसे छल के द्वारा वसीयत करवा लिया गया है।
(4)यदि वसीयत कर्ता गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रसित है और सोचने और समझने का यदि उसके पास क्षमता नहीं है। सोचने समझने की क्षमता वह खो चुका है तो ऐसे भी परिस्थिति में यदि कोई उससे वसीयत करवाता है तो इसे कोर्ट में चुनौती दिया जा सकता है।
(5)वसीयत यदि सादा पेपर पर करवाया गया है तो इसे भी कोर्ट में चुनौती आसानी से दिया जा सकता है। यहां पर यह ग्राउंड  बनाया जा सकता है कि सदा पेपर पर वसीयत इसलिए करवाया गया ताकि किसी को इसके बारे में कोई जानकारी ना हो और यह बात गुप्त रखा जाए इसी कारण सदा पेपर पर वसीयत करवाया गया है।
(6)दो गवाह का बयान जो वसीयत पर हस्ताक्षर किया गया है। यदि वह दोनों 18 साल से ज्यादा उम्र का नहीं है 18 साल से एक दीन भी कम है तो ऐसे भी परिस्थिति में वसीयत को आसानी से चुनौती कोर्ट में दिया जा सकता है और उसे आसानी से खारीज करवाया जा सकता है।
(7)वसीयत जिसके नाम किया गया है यदि वह अपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है तो वैसे भी परिस्थिति में वसीयत को कोर्ट में चुनौती देकर उसे खारिज करवाया जा सकता है। यहां पर यह ग्राउंड बन सकता है कि यह व्यक्ति अपराधिक प्रवृत्ति का था जिसके कारण वसीयत कर्ता ने डर से वसीयत कर दिया लेकिन यह बात आपको कोर्ट साबित करना होगा की जिसके नाम वसीयत किया गया है वह आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है।
(8)कोर्ट में यदि आप वसीयत को चुनौती देते हैं तो आप जो भी ग्राउंड बनाकर कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं वह ग्राउंड को कोर्ट में आपको को साबित भी करना होगा तो इस बात का भी आपको ध्यान रखना होगा। आप जो भी आरोप लगाते हैं उस आरोप को कोर्ट में सिद्ध करने के लिए आपके पास समुचित साक्ष्य भी रहना जरूरी है।
(9)इसके अलावाऔर भी कई ग्राउंड बन सकता है। वसीयत को कोर्ट के द्वारा खारिज करवाने का ग्राउंड को वसीयत कर्ता और जिसके नाम वसीयत किया गया है उसका प्रकृति को देखते हुए तय करना होगा कि वहां पर कौन सा ग्राउंड बनाया जा सकता है।

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