IPC 323 in hindi | IPC 323 kiya hai | आईपीसी 323 क्या है

जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को जानबूझकर चोट पहुँचाता हैं चाहे वो चोट साधारण-सी हो या फिर जानलेवा हो तो ऐसे मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 323 लगता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 323 पुलिस आसानी से F.I.R दर्ज नहीं करती हैं क्योंकि यह गैर संज्ञेय अपराध है। गैर संज्ञेय अपराध में प्रार्थी कोर्ट में आरोपी के उपर मुकदमा दर्ज कर सकता है। लेकिन यहाँ प्रार्थी को चाहिए कि वो पहले पुलिस थाना में ही शिकायत दर्ज करें। यह गैर जमानती अपराध है मतलब की आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद आसानी से जमानत मिल सकता हैं। ऐसे अपराध में अपराधी अग्रिम जमानत भी ले सकता हैं इसके लिये आरोपी को कोई मजबूत ग्राउंड पहले बनाना होगा अन्यथा अग्रिम जमानत नहीं मिलेगा।

यह अपराध के लिए अपराधी को अधिकतम एक वर्ष का सजा या एक हजार रुपये जुर्माना हो सकता है या फिर दोनों भी हो सकता है। ऐसे अपराध में जब प्रार्थी पुलिस थाना मे F.I.R दर्ज करता है तो F.I.R के बाद पुलिस जांच में तो जुट जाती हैं लेकिन आरोपी को गिरफ्तार नहीं करता है। आरोपी का गिरफ्तारी के लिये पुलिस को मजिस्ट्रेट के लिखित में गिरफ्तारी वारंट लेना जरूरी होता हैं। ऐसे अपराध में प्रतिवादी और वादी आपस में समझौता करने F.I.R को खत्म कर सकता जब चाहे। यानी की दोनों पक्ष आपस में समझौता करने F.I.R को खत्म कर सकता है चाहे मुकदमा किसी भी निष्कर्ष पर क्यों नहीं पहुँच गया हो। यह मामला किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

पुलिस F.I.R नहीं लिखे तो कानूनी उपाय

अग्रिम जमानत कैसे मिलेगा

झुठी F.I.R से कैसे बचे

2 thoughts on “IPC 323 in hindi | IPC 323 kiya hai | आईपीसी 323 क्या है

  • September 15, 2020 at 11:25 am
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    Hlw sir…meri ek problem he mujhe ap se us visay me baat Karni he…plz contecte me

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    • September 18, 2020 at 1:26 pm
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      Mera contact Information yahi Website pe mention hai.

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