क्या करें जब न्यायालय आपको बतौर अभियुक्त समन जारी करता है?



यदि आपने कोई अपराध किया है , जिसके लिए न्यायालय ने आप को समन भेजा है और आपने उसे प्राप्त किया है ,तो आप अवश्य ही सुनवाई के दिन निर्धारित समय पर न्यायालय में हाजिर होना चाहिए| शिकायत ही मामले में प्रोसेस सर्वर से आदेश वाहक भी कह सकते हैं| न्यायालय द्वारा जारी किए गए सामान को आप तक पहुंचाता है, समन भेजने का काम रजिस्टर्ड पोस्ट या कोरियर द्वारा भी किया जाता है |और यदि आप इन दोनों में से किसी भी माध्यम से भेजे गए समन को प्राप्त करते हैं ,तो आपको निश्चित तारीख पर न्यायालय में हाजिर होना होगा |समन पर जारी करने वाले न्यायालय का नाम पेश होने की तारीख उस व्यक्ति का नाम जिसने आपके विरुद्ध शिकायत दर्ज करवाई है| तथा अपराध जिसमें आप को अभियुक्त बनाया गया है इत्यादि सूचनाओं का स्पष्ट उल्लेख होता है|


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अभियुक्त पर समन की तामील किस प्रकार करवाई जाती है? 



न्यायालय द्वारा भेजे गए समन के साथ उसकी एक कॉपी शिकायत पत्र तथा अन्य दस्तावेजों यदि कोई है तो की कॉपिया साथ भेजी जाती है  | समन प्राप्ति के सबूत के तौर पर उसकी नकल पर अपने हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लगाकर आप समन की मूल कॉपी को प्रोसेस सर्वर से प्राप्त कर सकते हैं |यदि आप उस समय घर पर उपस्थित नहीं है ,तो आपके परिवार का कोई भी वह सब सदस्य प्रोसेस सर्वर से समन को प्राप्त कर सकता है | ध्यान रहे कि जब भी आ प्रोसेस सर्वर से समन ले तो ,उसके साथ शिकायत आने दस्तावेजों की कॉपी लेना नहीं भूले |यदि समन के साथ कोई प्रतिलिपि संलग्न नहीं है तो हस्ताक्षर देते समय उसका जिक्र  समन की नकल पर अवश्य कर दें| प्रोसेस सर्वर  अपनी रिपोर्ट सहित न्यायालय में जमा करता है |इस तरह आपके द्वारा दस्तावेज नहीं दिए जाने की सूचना न्यायालय के रिकॉर्ड पर आ जाती है |आपके द्वारा समन की कॉपी पर लिखी गई टिप्पणी तथा उस पर प्रोसेस सर्वर की रिपोर्ट न्यायालय में पेशी के समय आपकी बात की पुष्टि करती है, आपके अनुरोध पर न्यायालय आपको शिकायत और दस्तावेजों की कॉपी उपलब्ध करवाने का आदेश देता है |


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यदि आप जानबूझकर समन की तामील से बचने का प्रयास करते हैं तो अदालत क्या कार्रवाई कर सकती है? 



यदि आप जानबूझकर सामान लेने से इनकार करते हैं, यह समन की तामील नहीं करते हैं| तो न्यायालय  को ऐसी शक्तियां प्राप्त है, जिसका प्रयोग करके आपसे समन की तामील करवाई जा सकती है |यदि आप तय शुदा तारीख पर समन की तामील करके पेश होने में असफल रहे हैं, और इसके लिए आपके पास कोई ठोस कारण भी नहीं है | तो न्यायालय आप को हिरासत में लेने से कड़ी कार्रवाई भी कर सकता है |इस स्थिति में न्यायालय आप के खिलाफ जमानती या गैर जमानती वारंट जारी कर सकता है |


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जमाने की सतह गैर जमानती वारंट की तामील कैसे की जाती है? 



जमानती वारंट जारी होने पर वह आदेश न्यायालय की मोहर के साथ संबंधित थाने के थाना प्रभारी को भेज दिया जाता है | जमानती वारंट जारी करते समय न्यायालय थाना प्रभारी को निर्देश दे सकता है | , कि पकड़ने के बाद आपको निर्धारित राशि के बेला बांड यानी जमानत नामे पर रिहा कर दे इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि आप को वारंट में दर्शाए गए राशि का भुगतान करना है |वास्तव में जमानत नामा है इस बात का आश्वासन है क्या अपने बारे दिनांक को न्यायालय में पेश होंगे और यदि आप इसमें असफल होते हैं, तो उसी स्थिति में आपको  बतौर जुर्माना न्यायालय में जमा करनी होगी| आपके द्वारा अदा की गई जमानत की राशि को राज्य के कोष में जमा कर दिया जाता है|


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   कुछ मामलों में न्यायालय निश्चित राशि के जमानती वारंट जारी करते समय एक या अधिक जमा नदियों के निर्देश भी जारी कर सकता है |ऐसा निर्देश जारी होने पर आपको बतौर आश्वासन बेल बांड पर हस्ताक्षर करने के साथ-साथ अपने लिए जमानत हो का प्रबंध भी करना होगा| इसका अर्थ यह है कि आपके साथ किसी अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों को भी आप की जमानत देनी होगी |और उसे भी आपके साथ साथ जमानत ना में पर हस्ताक्षर करके आश्वासन देना होता है कि वह सुनवाई की निर्धारित तारीख को न्यायालय में पेश करेगा|


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   यदि आप अभियुक्त हैं और सुनवाई की तारीख पर न्यायालय पहुंचने में असमर्थ है तो क्या करें ?



अरे किसी कारणवश आप सभी भाई की तारीफ करने वाले नहीं पहुंच सकते हैं, तो आपको तहे तारीख से पहले प्रार्थना पत्र के माध्यम से इसकी सूचना न्यायालय को देनी चाहिए| तथा व्यक्तिगत तौर पर पेश होने से छूट देने के अनुरोध करना चाहिए| प्रार्थना पत्र आप स्वयं नयालय को दे सकते हैं या किसी वकील यदि आपने नियुक्त किया है तो के माध्यम से पेश कर सकते हैं |


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अभियुक्त कितने तारीख को न्यायालय में पेश नहीं होने पर अदालत क्या कार्यवाही कर सकती है? 



जब भी आप जमानत ना में की शर्तों के अनुसार सुनवाई की तारीख पर न्यायालय के समक्ष पेश होने में असफल होते हैं या के जमाने थी आप को न्यायालय में पेश नहीं कर पाता है, तो न्यायालय को यह शक्ति प्राप्त है कि वह कानून के अनुसार आपके और आपके जमानत के खिलाफ कार्यवाही करते हुए दोनों से जमानत आ में में दर्शाई गई राशि को जुर्माने के तौर पर वसूल करें |इसके साथ ही न्यायालय को आप के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने की शक्ति प्राप्त होती है गैर जमानती वारंट जारी होने पर थाना प्रभारी है उसके द्वारा नियुक्त कोई अन्य पुलिस अधिकारी अभियुक्त को गिरफ्तार करके न्यायालय के समक्ष पेश करता है| गैर जमानती वारंट के मामले में आपको पुलिस अधिकारी द्वारा जमानत पर रिहा किए जाने की छूट नहीं मिलती है ,अतः जब भी अभियुक्त के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होता है, तो उसको  हिरासत में लेकर न्यायालय के समक्ष पेश किया जाता है|




Court order
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एक अभियुक्त को नामजद (भगोड़ा) अपराधी कब घोषित किया जाता है? 




जब न्यायालय पुलिस केस रिपोर्ट से संतुष्ट हो जाता है कि अभियुक्त की गिरफ्तारी से बचने का प्रयास कर रहा है ,तथा उसकी गिरफ्तारी की कोई संभावना नहीं दे रही है ,तो ऐसी परिस्थिति में न्यायालय उस अभियुक्त को नामजद या भगोड़ा अपराधी घोषित कर देता है |भगोड़ा अपराधी घोषित होने के बाद अभियुक्त की चल -अचल संपत्ति को कुर्क करके बेचा जा सकता है| न्यायालय ऐसा कदम न्याय की उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए उठाता है|





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