जब कोई अपराधी पुलिस को सच सच नहीं बताती है। सच को छुपा लेती है और झूठ बताती है तो ऐसी परिस्थिति में पुलिस द्वारा ऐसे अपराधी का नार्को टेस्ट करवाया जाता है। यहां पर पुलिस ही नहीं और भी कई संस्था है जैसे सीबीआई, रो यह सभी एजेंसी नार्को टेस्ट करवा सकती है। लेकिन इसके लिए कुछ कानूनी प्रक्रिया है। उस कानूनी प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही नार्को टेस्ट किसी व्यक्ति का किया जा सकता है।
नार्कों टेस्ट क्या है
अपराधी से या आरोपी से सच जानने के लिए नार्को टेस्ट करवाया जाता है। नार्को टेस्ट के दौरान जिस व्यक्ति का नारको टेस्ट किया जा रहा है उसका सहमति लेना भी जरूरी है। बिना उसका सहमति का नारको टेस्ट नहीं किया जा सकता है। साथ ही साथ यहां पर कोर्ट के आदेश के बाद ही किसी व्यक्ति का नारको टेस्ट किया जा सकता है। नारको टेस्ट में अपराधी को "ट्रुथ ड्रग" नाम की एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है या फिर "सोडियम पेंटोथल या सोडियम अमाइटल" का इंजेक्शन लगाया जाता है.। यह दवाई देने के बाद संबंधित व्यक्ति आधा बेहोशी अवस्था में चले जाता है जिसके कारण वह सच बता देता हैं।
क्या होता है ये टेस्ट में
नारको टेस्ट में व्यक्ति आधा बेहोशी अवस्था में चले जाता है जिसके कारण वह झूठ नहीं बोल पाता है। क्योंकि झूठ बोलने के लिए ज्यादा दिमाग का आवश्यकता पड़ता है और नार्को टेस्ट में उसका दिमाग सुस्त पड़ जाता है। झूठ बोलते समय झूठ बोलने वाले व्यक्ति को यह खास ध्यान रखा जाता है कि कौन से सच को कहां छिपाना है और कौन सा झूठ को कहां बोलना है। यह सब बात को ध्यान में रखा जाता है और जब नार्को टेस्ट किया जाता है तो उस दौरान व्यक्ति का दिमाग काफी सुस्त हो जाता है, जिसके कारण वह यह बात का ध्यान नहीं रख पाता है। सही-सही बता देता है, लेकिन 5% ऐसे भी व्यक्ति है जो नार्को टेस्ट में भी अधिकारी को चकमा दे देती है।
नार्को टेस्ट के समय इन्वेस्टिगेशन अधिकारी और फॉरेंसिक अधिकारी मौजूद रहते हैं साथ ही वहां पर जांच अधिकारी की मौजूदगी में नारको टेस्ट किया जाता है और इस दौरान जांच अधिकारी के द्वारा दिया गया सवाल का जवाब संबंधित व्यक्ति से लिया जाता है।
मेडिकल परीक्षण
नार्को टेस्ट करवाने से पहले जिस व्यक्ति का नार्को टेस्ट किया जाएगा उसका मेडिकल परीक्षण करवाया जाता है। इस दौरान यदि वह व्यक्ति जिसका नार्को टेस्ट किया जा रहा है वह किसी बीमारी से ग्रसित है तो फिर उसका नार्को टेस्ट नहीं किया जाएगा। साथ ही यदि उसका मानसिक स्थिति ठीक नहीं है; मानसिक स्थिति कमजोर है या ज्यादा उम्र की है तो ऐसे भी परिस्थिति में उसका नारको टेस्ट नहीं करवाया जाएगा। नार्को टेस्ट करवाते समय संबंधित व्यक्ति का उम्र, अवस्था और स्वास्थ्य का खास करके ध्यान रखा जाता है। बहुत बार ऐसा भी देखा गया है कि नार्को टेस्ट के दौरान कुछ व्यक्ति का मौत भी हो जाता है।
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