आजके इस पोस्ट में हमलोगों बात करेगें उधार का पैसा वसूली करने का नियम व कानून के बारे में। यदी आप कोई व्यक्ति को उधार पर पैसा देते हैं और उससे कुछ भी नहीं लिखवाते हैं यानी कि आप मौखिक विश्वास पर देते हैं फिर भी आपका पैसा डूबेगा नहीं। साथ ही यदी आप कोई व्यक्ति को कुछ समान उधार पर देते हैं और वह व्यक्ति समय से पैसा आपको नहीं देता है तो ऐसे परिस्थिति में भी आपका पैसा डूबेगा नहीं। यह मेरा वादा हैं। आपको इस पोस्ट में जो भी प्रक्रिया को बताया गया है सिर्फ आप उस प्रक्रिया को कीजिये कर्जदार खुद आकर पैसा वापस करेंगा। ( यह भी पढ़े:- धोखाधड़ी व ठगी का मुुकदमा कैैसे करें)
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पैसा देने का सबूत
यदी आप कोई व्यक्ति को पैसा उधार देते हैं तो आपको उससे कम से कम सादा पेपर पर जरुर लिखवा लेना चाहिए। यदी आप उधार पर पैसा दिये हैं और आपके पास कोई साक्ष्य नहीं हैं तो आपको बिल्कुल भी घबराने का जरुरत नहीं फिर भी पैसा वसूल होगा। सबसे पहले आप उस कर्जदार को फोन करके उससे पैसा का माॅग करें और उसका सभी बात को मोबाइल में रिकॉर्ड करें यहाँ पर आपको ध्यान में रखना होगा कि रिकार्डिंग में सभी बात स्पष्ट रुप से होना जरुरी हैं। रिकॉर्डिंग ऐसा होना चाहिए कि यदी कोई व्यक्ति भी उस रिकार्डिंग को सुने तो उसे यह सब पता लग जाना चाहिए कि किसका पैसा किसके पास है और कितना पैसा हैं और पैसा कब कर्जदार को दिया गया था। आपको ये काॅल रिकॉर्डिंग को पुरा तरीका से संभाल कर रखना होगा। यदी कर्जदार से आपको WhatsApp पर बात होता हैं तो उस स्क्रीन शाॅट को भी संभाल कर रखें क्योंकि ये काॅल रिकॉर्डिंग आपको आगे चलकर मदद करेगा। यदी आपने कोई समान बेचा हैं और उसका भी पैसा नहीं दे रहा ऐसे परिस्थिति में भी आपको यही नियम को लागू करना होगा। ( यह भी पढ़े:- ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग कोर्ट में मान्य है)
लिगल नोटिस भेजें
अब आपके पास काफी मजबूत ग्राउंड हो गया है। आब आपको आगे का कार्रवाई के लिए कर्जदार को एक लीगल नोटिस भेजें। लीगल नोटिस में सभी बातों को विस्तार से बताए, आप कब पैसा दिये थे, कितना पैसा दिये थे, क्यों दिये थे और इस लीगल नोटिस का जवाब के लिये उसको 15 दिन का समय सीमा से भी बान्ध दें। यदी 15 दिनों के अंदर पैसा नहीं दे तो आपको वकी के मदल से कर्जदार से विरुद्ध मुकदमा दर्ज करना होगा। यह मुकदमा IPC का Section 406 व 420 के तहत दर्ज होगा । यह समझौता योग्य अपराध हैं इसमें आप जब चाहे समझोता कर सकते हैं। यह सेक्शन में सात साल तक का सजा व जुर्माना का प्रावधान किया गया है। ( यह भी पढ़े :- जालसाजी छल कपट करने पर कानून व सज़ा)
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