मोबाइल ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग कोर्ट में मान्य है?



क्या मोबाइल या अन्य कोई इलेक्ट्रॉनिक द्वारा रिकॉर्डिंग किया गया ऑडियो या वीडियो कोर्ट में साक्ष्य के लिए मान्य है ?



दोस्तों मोबाइल द्वारा या अन्य किसी भी माध्यम से रिकार्ड किया गया वीडियो या ऑडियो कोर्ट में तो मान्य है लेकिन इसका बहुत सारा शर्त भी है। यदि आप इस शर्त को पूरा नहीं करेगें तो आपका ऑडियो या वीडियो कोर्ट में साक्ष्य के लिए मान्य नहीं होगा। दोस्तों कोर्ट में साक्ष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य ऑडियो या वीडियो को माना गया है।  क्योंकि गवाही का मन समय के अनुसार बदलते रहता है और खास बात यह है कि आप जो भी गवाही को कोर्ट में ले जाऐगे उसका ख़र्च का भी वहन आपको ही करना पड़ता है।  लेकिन कोर्ट जाने के बाद भी उस व्यक्ति का मन बदल सकता है।  साथ ही साथ आपका जो गवाह है उसको आपके विरोधियों द्वारा धमकी भी दी जाती है जिसके कारण गवाह सही बात नहीं बोलता है ( ऐसा पबहुत बार सुनने को मिला है) । कोर्ट में ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग का कुछ महत्वपूर्ण दिशा निर्देश के बारे में जान लेते है। आपका मदद के लिए यहां मैं एक वीडियो दे रहा हूं आप इस वीडियो को पूरा देख लेंगे ताकि आपको किसी प्रकार का कोई परेशानी का सामना ना करना पड़े।






साक्ष्य के प्रकार




एविडेंस एक्ट का धारा 61 के अनुसार एविडेंस दो प्रकार के होते हैं (1) First Avidance :-  इसके तहत सबूत के लिए कागजात और कोई भी महत्वपूर्ण दस्तावेज (RTI) , वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग आता है। (ये साक्ष्य काफी मजबूत साक्ष्य होता है) एविडेंस एक्ट 62 में इसका विश्लेषण किया गया है।  (2) Secondary Avidance:- इसके तहत मौखिक गवाह को रखा गया है।




ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग का सत्यता




ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग को कोर्ट में साक्ष्य के लिए उपयोग करने से पहले आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वो सही और सत्य है । यदि कोई वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग आपका मुकदमा से संबंधित है और वो ऑडियो और ऑडियो कोई दूसरा व्यक्ति के द्वारा आपको मुहैया कराया जाए तो कोर्ट में उस व्यक्ति का नाम भी बताना चाहिए जिसने आपको वीडियो या ऑडियो मुहैया कराया है। साथ ही साथ उस व्यक्ति से ये भी जानने का प्रयास करें की उसको ये ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग कैसे प्राप्त हुआ है। वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग के लिए जिस डिवाइस का इस्तेमाल किया गया है उसका भी माँग करें और अपना स्तर से पुरा जाँच प्रताल करें।  क्योंकि हो सकता है आपको जो ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग मुहैया कराया गया है वो गलत हो । और आपने जो व्यक्ति पर मुकदमा किये है उसका ही ये चाल हो। अभी ऐसा बहुत सा साॅफ्टवेयर मार्केट में आ गया है जिससे ये सब संभव है। यदि आपका ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग को कोर्ट में गलत साबित हो जाए तो आपका पक्ष कमजोर तो होगा ही साथ ही साथ आप खुद एस मुकदमा में उलझ जाऐगे। इसके बारें में इसी पोस्ट के अंत में बात करेगें। आप जो भी ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग किये है जिसे आप कोर्ट में साक्ष्य के तौर पर पेश करना चाहते हैं उसमें किसी भी प्रकार का कोई छेड़छाड़ नहीं करेगे नहीं तो ये कोोर्ट में माान्य नहीं होगा।




ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग कोर्ट में जमा करना




आप जो भी ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग कोर्ट में जमा करेगें उसके साथ आपके एक Affidavit देना होगा और उस एफिडेविट में आपको वीडियो का सत्यता के बारे में लिखना होगा साथ ही साथ आपने उस एफिडेविट में यह भी उल्लेख करना होगा कि आपने उस ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग को कैसे बनाया।  यदि आप मोबाइल के द्वारा बनाए है तो उस मोबाइल का नाम देगें और EMI नंबर देगें। साथ ही साथ उस तिथि और समय का भी उल्लेख करेगें जिस समय ये वीडियो या ऑडियो रिकॉर्डिंग को बनाया गया था।  यदि आप ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग किसी एप्लीकेशन के माध्यम से रिकार्ड किया हे तो उस एप्लीकेशन का नाम का भी उल्लेख करेगें।  साथ ही साथ ऑडियो में जो भी बात रिकॉर्डिंग है उसको साफ साफ सादे कागज पर भी लिख कर कोर्ट में जमा करेगें । क्योंकि जब कोर्ट में बहस होगा उस वक्त आपका ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग को कोर्ट में बार-बार न तोवसुना जाएगा और न ही देखा जाएगा। इसलिये वीडियो या ऑडियो में जो भी बात है उसको स्पष्ट लिख कर कोर्ट में जमा करेगें साथ ही जो बात ऑडियो में प्रेम पुर्वक कहा गया है उसका भी उल्लेख करेगें।  यदि कोई बात गुस्सा में कहा गया है तो उस बात को लिख कर उसके आगे कोष्ट में लिखेगें कि गुस्से में बोला गया है। ताकि कोर्ट में बहस करते समय माननीय न्यायालय को आप संतुष्ट कर सके।और आपका पक्ष मजबूत हो सके। यहाँ एक बात आपको ध्यान रखना होगा यदि आपको ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग कोई दूसरा व्यक्ति से प्राप्त हुआ है तो उसका भी नाम का उल्लेख उस शपत्र-पत्र करें।  क्योंकि यदि आपका ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग कोर्ट में गलत साबित हो जाए तो आप खुद का बचाव कर सकें।  यदि कोई दूसरा व्यक्ति आपको गलत तरीका से फँसाने का योजना बनाकर आपको कोई गलत ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग देगें तो वो खुद ही मुश्किल में फॅस जाय।



ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग का फोरेंसिक जाॅच




आप जब भी कोई ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग कोर्ट में  जमा करेगें तो हो सकता है कि जिस व्यक्ति का ये रिकॉर्डिंग है वो साफ तौर पर मना करें कि ये मेरा विडियो रिकॉर्डिंग या ऑडियो रिकॉर्डिंग नहीं है तो ऐशे परिस्थिति में न्यायालय इस वीडियो रिकॉर्डिंग या ऑडियो रिकॉर्डिंग को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दें।  साथ ही बहुत बार ये भी देखा गया है कि जब आप किसी व्यक्ति का वीडियो रिकॉर्डिंग करते हैं तो वो यह सुनिश्चित कर देता है कि उक्त वीडियो मेरा ही है लेकिन जब ऑडियो रिकॉर्डिंग का बात आता है तो यहाँ पर मानने से बना कर देता है।  क्योंकि जिस व्यक्ति का आप ऑडियो रिकॉर्डिंग करते है उसमे उस व्यक्ति का फेस नहीं रहता हैं और वो खुद को बचाने के लिए झूठ का सहारा लेता है और कोर्ट में बोलता है कि उक्त रिकॉर्डिंग मेरा नहीं है।  ऐसे परिस्थिति में आपको माननीय न्यायालय से फ़ोरेंसिक जाँच का आग्रह करना चाहिए।  यदि एक बार किसी ऑडियो या वीडियो का फोरेंसिक जाॅच हो गया है तो आप आगे वाला कोर्ट में भी अपील करेंगे तो वही फोरेंसिक जांच का रिपोर्ट काम में आ जाएगा आपको बार-बार फोरेंसिक जांच कराने का कोई जरुरत नहीं है।  यदि वो व्यक्ति जिसके उपर आप मुकदमा चला रहे है वो फोरेंसिक जाॅच को गलत कहें तो ये बात संभव नहीं है।



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