मारपीट करने पर कितना सजा कैसे बचें


मारपीट करना कितना गंभीर अपराध है? किसी को जख्मी करना या चोट पहुंचाना या साधारण से चटा मारना अपराध है या नहीं? इसके बारे में आज के इस पोस्ट में हमलोग जानेगें साथ ही इसके लिए कानून में कौन-कौन से प्रोविजन दी गई है और कौन कौन सी धारा लगती है और कितना सजा का प्रावधान किया गया है इसी टॉपिक पर आज के इस पोस्ट में हम लोग जानेंगे।


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किसी को चाटा मारना अपराध है 


साधारण मारपीट करना जैसे किसी को चाटा मारना या हथा-पाई करना ऐसे अपराध गैरसंक्षेय अपराध है जिसके कारण पुलिस एफ आई आर दर्ज नहीं करते हैं, फिर भी शिकायती को पुलिस से शिकायत करना चाहिए । ऐसे अपराध के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल कर F.I.R दर्ज करने की गुहार लगाई जा सकती है। इसके बाद कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस F.I.R दर्जकरती है। साधारण मारपीट के अपराध में आईपीसी की सेक्शन 323 के तहत F.I R दर्ज होती है।










मारपीट करने के बाद क्या करें 


यदि किसी के साथ कोई मारपीट करता है तो पीड़ित व्यक्ति को सबसे पहले एमएलसी ( मेडिकल लीगल सर्टिफिकेट) बनवा लेना चाहिए ताकि कोर्ट में सबूत के तौर पर मेडिकल लीगल  सटिफिकेट को लगाया जा सके।


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कोई जनलेवा हथियार से वार करें तो क्या करें 


यदि साधारण मारपीट के दौरान कोई व्यक्ति किसी जानलेवा हथियार का उपयोग करता है तो यह संंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे मामले में शिकायती के बयान के आधार पर पुलिस एफ आई आर दर्ज करती है। यह अपराध आईपीसी का सेेक्शन 324 के तहत आता है। यह अपराध गैर जमानती और गैर समझौता वादी है ।अगर आरोपी दोषी करार दिया जाता है तो उसे अधिकतम 3 साल तक की कैद हो सकता है। यदि बाद में दोनों पक्षों में मिलान हो जाए फिर भी बिना कोर्ट की इजाजत से F.I.R को खत्म नहीं किया जा सकता है।


मारपीट में गंभीर चोट लगने पर सजा


यदि कोई व्यक्ति किसी को गंभीर चोट पहुंचाता है तो यह संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। इसमें पुलिस आईपीसी का सेक्शन 325 के तहत के पीड़़ित के बयान के आधार पर F.I.Rदर्ज करती है। यह अपराध समझौतावादी और जमानती दोनों प्रकृति के हैं ।


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मारपीट में कोई अंग काटने पर सज़ा 


यदि कोई व्यक्ति किसी जानलेवा हथियार से किसी को गंभीर रूप से जख्मी कर देता है जैसे कि कोई अंग को काट देना या दांत तोड़ देना या फिर कोई हड्डी तोड़ देना जिससे कि उसका जान को खतरा हो तो ऐसे अपराध इसी कैटेगरी में आता है। इसमें  पुुुलिस पीड़िता के बयान के आधार पर F.I.R दर्ज करती है।  और अपराध दर्ज होता है । यदि अपराधी दोषी पाया जाता है तो उसे 10 साल की सजा हो सकता है।


किसी को जान से मारने पर सज़ा 


यदि किसी व्यक्ति पर उसकी जान लेने की नीयत से कोई हमला करता है तो आरोपी पर आईपीसी का सेक्शन 307 के तहत केस दर्ज किया जाता है । यानी की हत्या का केस दर्ज होता है। इसमें यदि अपराधी दोषी पाया जाता है तो उसे उम्रकैैद तक का सजा हो सकता है । अगर कोई व्यक्ति किसी पर हमला करें इस कारण जान को खतरा हो जाए लेकिन आरोपी का नियत जान लेने का नहीं था तो हत्या का प्रयास का प्रयास का मुकदमा किया जाता है इसमें यदि दोषी पाया जाता है तो उसे अधिकतम 7 साल का सजा हो सकता है।

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