पुलिस गिरफ्तारी पर आपका कानूनी अधिकार


आजकल लोग आपसी मतभेद के कारण एक दूसरे के ऊपर झूठा एफ आई आर दर्ज करवा देती है और ऐसे में पुलिस कभी भी संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेती है। आपको बता दें सिर्फ संज्ञेय अपराध में ही पुलिस किसी अपराधी को सीधे गिरफ्तार कर सकती है । गैर संज्ञेय अपराध में पुलिस बिना वारंट किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकती है आज हम लोग बात करने जा रहे हैं गिरफ्तारी पर, गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को मिलने वाला कानूनी अधिकार के बारे में, जो कानूनी अधिकार हर नागरिक को जानना काफी जरूरी है।






क्या है संज्ञेय अपराध 


संज्ञेय अपराध गंभीर प्रवृत्ति का अपराध होता है। इसमें पुलिस किसी व्यक्ति को बिना वारंटी गिरफ्तार कर लेती है । संघीय अपराध के कुछ उदाहरण है जैसे किसी का हत्या करना, किसी का अपहरण करना या किसी का बलात्कार करना। यह सभी संघीय अपराध की श्रेणी में आता है यह गैर जमानती अपराध है । इसमें पुलिस स्टेशन से जमानत नहीं मिल सकता है।


क्या है गैर संज्ञेय अपराध 


यह अपराध गंभीर प्रवृत्ति का नहीं होता है। इसमें पुलिस संबंधित व्यक्ति को बिना वारंट का गिरफ्तार नहीं कर सकती है । यह जमानती अपराध है। इसमें पुलिस स्टेशन से ही आसानी से जमानत लिया जा सकता है। गैर संघीय अपराध के कुछ उदाहरण इस प्रकार है जैसे किसी को गाली देना, चोरी करना, किसी को चाटा मारना और झूठे दहेज का केस में फंसना।


गिरफ्तारी पर अपराधी का अधिकार 


जब भी पुलिस किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने जाती है या गिरफ्तार करती है तो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह गिरफ्तारी का कारण जान सके कि उसे पुलिस गिरफ्तार आखिर कर क्यों रही है। साथ ही साथ यदि पुलिस गिरफ्तार करती है तो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को यह भी अधिकार है कि समय पर ही गिरफ्तारी नामा बना ले ताकि पुलिस उसे 24 घंटा से ज्यादा पुलिस स्टेशन में नहीं रख सके।


गिरफ्तारी नामा क्या है 


जब पुलिस किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने जाती है तो जिस समय उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है और जहां से गिरफ्तार किया जाता है। इस बात को एक कागज पर लिखकर गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का परिजन को सौंप देती है। इस कागज में गिरफ्तार से संबंधित सभी बात लिखी रहती है। जैसे पुलिस उसको किस टाइम पर गिरफ्तार कर रही है। पुलिस उसे किस तारीख पर गिरफ्तार कर रही है और उसे किस जगह से गिरफ्तार किया गया है। यही सभी डिटेल एक पेपर में लिखा रहता है जिसे गिरफ्तारी नामा के नाम से हम लोग जानते हैं


पुलिस कस्टडी में अपराधी का अधिकार 


जब भी पुलिस किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है। यदि उसे उसका घर से गिरफ्तार नहीं किया गया हो किसी अन्य स्थान से गिरफ्तार किया गया हो तो ऐसे में पुलिस गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के परिजन को 12 घंटा के अंदर सूचित करेंगे।  साथ ही यदि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति अपना किसी रिश्तेदार से मिलना चाहता है, गिरफ्तारी के समय तो पुलिस का यह जिम्मेदारी है कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को उसका रिश्तेदार को सूचना दें। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को यह भी अधिकार है कि वह पुलिस को अपना नाम और पता के अलावा कुछ और नहीं बताएं । गिरफ्तार किए गए व्यक्ति पुलिस से कह सकता है कि मैं आपको कोई जानकारी नहीं बता सकता हूं केस से संबंधित, पहले मुझे अपना वकील से मिलाइए, वकील से मिलने के बाद ही गिरफ्तार किए गए व्यक्ति केस से संबंधित जानकारी पुलिस को दे सकता है। पुलिस को भी यह अधिकार है कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का वकील को सूचना दें। जैसे ही वकील पुलिस थाना जाता है, तो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति अपना वकील से काफी जानकारी लेकर उसके बाद ही पुलिस को कोई जवाब दे सकता है।


पुलिस का कर्तव्य, अपराधी के प्रति 


पुलिस, गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का स्वास्थ्य का भी ध्यान रखेगी। यदि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का तबियत खराब है। जैसे सर में दर्द कर रहा है या पेट में दर्द कर रहा है या बुखार है, तो ऐसी परिस्थिति में पुलिस का यह जिम्मेदारी है कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को नजदीकी हॉस्पिटल ले जाकर उसका इलाज करवाएं। यदि ऐसा नहीं करता है तो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का परिजन s.p. को लिखित में आवेदन करके संबंधित पुलिस अधिकारी पर कानूनी कार्रवाई का मांग कर सकता है। पुलिस पर कार्रवाई कैसे करवाना चाहिए इसके लिये मैं वीडियो पहले ही बनाकर " Sampat Techno" यूट्यूब चैनल पर अपलोड कर चुका हूँ।  आप अधिक जानकारी के लिए मेरा यूट्यूब चैनल पर जा सकते है। 

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