पैतृक संपत्ति व स्वअर्जित संम्पति में क्या अंतर है

आज के इस पोस्ट में हमलोगों बात करेगें कि पैतृक संपत्ति व स्वअर्जित संम्पति में क्या अंतर है? पैतृक संपत्ति व स्वअर्जित संम्पति में क्या बेटा बेटी का हिस्सा होगा या नहीं? इसको समझने से पहले आपको जानलेना चाहिए कि आखिर पैतृक संपत्ति व स्वअर्जित संम्पति में क्या अंतर है।

पैतृक संपत्ति

जो संम्पति कई पुस्तो से चले आ रहा हो उसे पैतृक संपत्ति कहते हैं। उदाहरण के लिए जो संम्पति आपका दादाजी के द्वारा आपका पिताजी को मिला है वो संम्पति पैतृक संपत्ति कहलाती हैं। पैतृक संपत्ति में बेटा बेटी दोनों का अधिकार होगा। पैतृक संपत्ति को यदी पिताजी के द्वारा बेचा जाता है तो आप उसे आप रोक सकते हैं। इसके बारे में मैं पहले ही वीडियो बनाकर अपना चैनल पर अपलोड कर चुका हूँ। साथ ही इस वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया हूँ।

स्वअर्जित संम्पति

जो संम्पति को पिताजी खुद खरीदा हो उसे स्वअर्जित संम्पति कहते हैं। यानी पिताजी द्वारा अपने से कमाई करके खरीदा गया प्रॉपर्टी इसके अंतर्गत आएगा। पिता के जीवित रहते हुए स्वअर्जित संम्पति में बेटा बेटी को हिस्सा नहीं मिलेगा। स्वअर्जित संम्पति को बेचने से पिताजी को नहीं रोका जा सकता है लेकिन कुछ ऐसे भी कानूनी प्रावधान है जिसका मदद से रोक सकते हैं। स्वअर्जित संम्पति को पिता जिसे चाहे दान कर सकता हैं, वसीयत भी कर सकता हैं। स्वअर्जित संम्पति यदी पिता किसी को वसीयत या दान पत्र नहीं लिखता हैं तब पिता के मृत्यु के पश्चात बेटा बेटी का इस संम्पति में अधिकार होगा।

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