आजके इस पोस्ट में हमलोग बात करेंगे कि कि यदि एक प्रॉपर्टी को दो बार दो अलग-अलग व्यक्तियों के नाम से रजिस्ट्री किया गया है तो ऐसे परिस्थिति में कौन रजिस्ट्री कानूनी तौर पर मान्य होगा। साथ ही ऐसा धोखाधड़ी करने वाले के लिए कानून में कितना सजा का प्रावधान किया गया है और एक प्रॉपर्टी को दो बार रजिस्ट्री करना संभव कैसे होता हैं। (इसे भी पढ़े:- प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इसे याद रखें)
कौन रजिस्ट्री कानूनी तौर पर मान्य होगा
मान लेते हैं कोई व्यक्ति A हैं उसके पास विक्रय के लिए 50 डिसमील जमीन हैं जिसका किमत 50,000 ( पचास हजार रुपये) हैं। A ने 50 डिसमील जमीन B को बेचता हैं और रजिस्ट्री भी करवा लेता है। इसके पश्चात A ने पैसा का प्रलोभन के कारण उसी प्रॉपर्टी को पुनः C के साथ भी बेच देता हैं और यहाँ भी रजिस्ट्री हो जाता हैं। यहाँ पर C को यह जानकारी नहीं था की उसी प्रॉपर्टी को पहले B के भी साथ बेचा जा चुका है। ऐसे परिस्थिति में यह प्रॉपर्टी पर B का ही कानूनी अधिकार होगा। यहाँ पर C का रजिस्ट्री का कोई मान्यता नहीं रहेगा। यानी कि पहले वाला रजिस्ट्री ही मान्य होगा। (इसे भी पढ़े:- जमीन का दाख़िल ख़ारिज रोकने का कानूनी उपाय)
एक जमीन दो रजिस्ट्री कैसे
एक जमीन का दो बार रजिस्ट्री करना कानूनन अपराध है। यहाँ पर A ने पहले अपना प्रॉपर्टी B को बेचा और रजिस्ट्री किया यदि B रजिस्ट्री के पश्चात उस जमीन का दाख़िल ख़ारिज करवा लेता तो A उस जमीन को पुनः नहीं बेच पाता यहाँ पर B ने भी दाख़िल ख़ारिज नहीं करवाया जिसके कारण इतना बड़ा धोखाधड़ी करना संभव हो सका। दाख़िल ख़ारिज में पहले वाला जो प्रॉपर्टी का मालिक रहता हैं उसका नाम सरकारी रिकार्ड से हटा कर नया मालिक का नाम चढाया जाता हैं। यहाँ पर B रजिस्ट्री के पश्चात दाख़िल ख़ारिज करवा लेता तो इतना बड़ा धोखाधड़ी करना संभव नहीं हो सकता। (इसे भी पढ़े:- जमीन का रजिस्ट्री कैंसिल करने का कानूनी तरीका)
विक्रेता के द्वारा धोखाधड़ी
Transfer of Property ACT ka Section 55 में यह बात स्पष्ट किया गया है कि कोई भी प्रॉपर्टी को बेचने से पहले उस प्रॉपर्टी का वर्तमान स्वरूप से क्रेता को अवगत करना विक्रेता का जिम्मेदारी है। लेकिन यहाँ पर विक्रेता जो प्रॉपर्टी का मालिक है वह धोखाधड़ी करने के मंशा से क्रता को इस बारे में कोई जानकारी मुहैया नहीं कराया कि उस प्रॉपर्टी को पहले भी बेचा जा चुका है और रजिस्ट्री भी हो चुका है। यहाँ पर जो व्यक्ति दुसरा बार उस प्रॉपर्टी को खरीदा है उसके साथ बहुत बड़ा फ्राड किया गया है। (इसे भी पढ़े:- जमीन का पुराना से पुराना केवाला निकालें)
धोखाधड़ी जालसाजी फ्राड
यहाँ पर जो व्यक्ति दुसरा बार उस प्रॉपर्टी को खरीदा हैं उसका काफ़ी सारा पैसा फ़ंसा हुआ है ऐसे परिस्थिति में C को A के विरुद्ध धोखाधड़ी/ छल कपट/ फ्राड/जालसाजी का मुकदमा थाना में दर्ज करना होगा। आपको बता दे कि मुकदमा दर्ज होते ही पुलिस A को गिरफ्तार करके जेल भेज देगी।धोखाधड़ी का मुकदमा संज्ञेय अपराध कि श्रेणी में में आता है। संज्ञेय अपराध में F.I.R दर्ज होते ही पुलिस मुजरिम को गिरफ्तार करके जेल भेज देती हैं। यह अपराध समझौता योग्य हैं यानी मुकदमा कोई भी स्टेज में क्यों न लंबित हो वादी और प्रतिवादी आपस में समझौता करके मुकदमा को रफा-दफा कर सकता हैं। (इसे भी पढ़े:-धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करने का नियम व कानून)
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